- देश की आजादी के कई दशक बीत जाने और इस दौरान केंद्र और राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें बनीl सभी सरकारों ने आमजन के विकास को प्राथमिकता और बड़े-बड़े वादे किए लेकिन वास्तविकता के धरातल पर यह सभी बातें सिर्फ झूठ का पुलिंदा साबित हुईl राजनीति कारपोरेट जगत की भेंट चढ़ते लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था बेशक सत्ता कोष को लाभ पहुंचाती हो लेकिन इससे उपजे महंगाई के रावण से खासतौर पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे और मध्यवर्गीय तबका आज भी बुरी तरह त्रस्त है आसमान छू रही महंगाई के खिलाफ विपक्षी दल सदनो मे और सड़कों पर आए दिन विरोध कर रहे हैं मगर यह विरोध भी मात्र राजनीतिक ही दिखाई देता है। सरकारी निष्क्रियता के चलते इसका कालाबाजारी लोग जमकर फायदा उठा रहे हैं। इसका पूरा खामियाजा भी आमजन को । ही भुगतना पड़ता है आलम यह है कि आज हर आम नागरिक महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रहा है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर महंगाई को काबू करने का विश्वास दिलाया जाता है। ऐसा भरोसा महंगाई से त्रस्त लोगों की समझ से फिलहाल कोसों दूर है।
हाय महंगाई