देश में जारी मंदी के दौर में मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है lअंतिम सांस ले रहा उद्योग जगत अपने कल कारखानों से मजदूरों की छंटनी करने पर तुला हुआ है एक तरफ देश में असंख्य बेरोजगार नौजवान दूसरी तरफ बेसहारा यह मजदूर जाएं तो जाएं कहां यह समाज काम की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भटकने पर मजबूर हो रहा है एक तरफ केंद्र सरकार देश को अग्रिम श्रेणी पर ले जाने के लिए प्रति संकल्पित है दूसरी तरफ मंदी की मार झेल रहे व्यापारी व मजदूर दोनों ही हताश हैl
काम के अभाव में बदहाल मजदूर समाज